पाक प्रायोजित आतंक पर सर्जिकल जवाब की तैयारी: पीएम मोदी ने सुरक्षा बैठक में दिए कड़े निर्देश
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत का सख्त रुख, पाक नागरिकों के वीजा रद्द, सिंधु जल संधि भी निलंबित

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने आवास पर जम्मू-कश्मीर में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षा स्थिति की समीक्षा हेतु एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ उपस्थित रहे। बैठक में सेना को ‘पूरी छूट’ देने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है ताकि सीमा पार से आ रहे आतंकी हमलों का माकूल जवाब दिया जा सके।

बैठक ऐसे समय पर हुई है जब मंगलवार को कैबिनेट की सुरक्षा समिति (CCS) की दूसरी अहम बैठक भी प्रस्तावित है। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति (CCPA) और आर्थिक मामलों की समिति की बैठकें भी होंगी।

पाक सेना और ISI की संलिप्तता उजागर

पहलगाम हमले की जांच में पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी ISI की सीधी संलिप्तता सामने आई है। खुफिया सूत्रों ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा को पाकिस्तानी कमांडो हाशिम मूसा की मदद मिली, जो विशेष रूप से इस हमले के लिए भेजा गया था। स्थानीय चश्मदीदों ने उसकी पहचान की है। इसी दौरान, नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तानी सेना ने भारतीय चौकियों पर गोलीबारी की, हालांकि भारतीय पक्ष की ओर से कोई हानि नहीं हुई।

राजनयिक और कूटनीतिक कदम तेज

भारत सरकार ने प्रतिक्रिया स्वरूप पाकिस्तान के नागरिकों के सभी वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिए हैं, केवल पाकिस्तानी हिंदू और दीर्घकालिक वीजा धारकों को छूट दी गई है। मेडिकल वीजा भी रद्द कर दिए गए हैं। 27 अप्रैल तक लागू इस आदेश के बाद, अटारी-वाघा सीमा सहित विभिन्न चेकपोस्टों पर पाकिस्तानी नागरिकों की लंबी कतारें देखी गईं। अब तक लगभग 1,000 पाकिस्तानी भारत से लौट चुके हैं।

सिंधु जल संधि निलंबित, पाकिस्तान की तीखी प्रतिक्रिया

भारत ने 1960 की ऐतिहासिक सिंधु जल संधि को भी निलंबित कर दिया है, जिससे पाकिस्तान को मिलने वाली 85% जल आपूर्ति प्रभावित होगी। पाकिस्तान ने इसे ‘युद्ध जैसी कार्रवाई’ बताते हुए भारत के खिलाफ वीजा सेवाएं बंद कर दी हैं और सैकड़ों भारतीय नागरिकों को निष्कासित कर दिया है।

पहलगाम हमला: 26 निर्दोषों की जान गई, आतंकियों की तलाश जारी

22 अप्रैल को हुए इस भीषण आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी। प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। हमले में शामिल पांच आतंकी अब भी फरार हैं और सुरक्षाबलों ने उन्हें पकड़ने के लिए व्यापक तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।

दुनिया को दिखाया सबूत

भारत ने पाकिस्तान की संलिप्तता के सबूत अमेरिका, रूस, चीन, जापान और यूरोपीय संघ के देशों के राजनयिकों को सौंपे हैं। हमले के समय प्रधानमंत्री सऊदी अरब की आधिकारिक यात्रा पर थे, लेकिन हमले की सूचना मिलते ही उन्होंने 24 घंटे के भीतर स्वदेश वापसी की और पाकिस्तानी वायु क्षेत्र से दूरी बनाकर लौटे।

प्रधानमंत्री का सख्त संदेश

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद के नापाक मंसूबों को किसी हाल में सफल नहीं होने दिया जाएगा। देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और जो भी देश आतंक को संरक्षण देगा, उसे माकूल जवाब दिया जाएगा।

 

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