आंतरिक साधना से ही आत्मसाक्षात्कार संभव : धर्म महासम्मेलन में साधकों को मिला संदेश
TWM News, मुंगेर।

जमालपुर के बाबा नगर क्षेत्र में आयोजित दो दिवसीय धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन साधकों को गहन आध्यात्मिक संदेश मिला। चौड़ा मैदान स्थित पीटर हॉफ परिसर में आनंद मार्ग प्रचारक संघ के तत्वावधान में संपन्न हो रहे इस सम्मेलन में देश-विदेश से जुड़े आनंदमार्गियों ने शारीरिक उपस्थिति और ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया।

रविवार को प्रातः सत्र का शुभारंभ ‘बाबा नाम केवलम’ महामंत्र के गूंजते स्वर और सामूहिक साधना के साथ हुआ। पुरोधा प्रमुख आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत के आगमन पर सेवा दल के स्वयंसेवकों ने गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान कर उनका स्वागत किया।

अपने प्रेरक संबोधन में आचार्य जी ने शिव-पार्वती संवाद के आलोक में साधकों को आंतरिक साधना का महत्व समझाते हुए कहा कि — “बाह्य तप, व्रत, यज्ञ या उपवास के माध्यम से मोक्ष संभव नहीं, वास्तविक मुक्ति केवल ‘मैं ब्रह्म हूँ’ इस आत्मज्ञान से ही संभव है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि कठोर शारीरिक तप या तीर्थ यात्राएं आत्मसाक्षात्कार का साधन नहीं हैं। यदि ऐसा होता तो श्रमिक और पशु भी सहज ही मोक्ष प्राप्त कर लेते।

आचार्य जी ने साधकों को बाह्य आडंबर छोड़कर मन और आत्मा के निकटवर्ती साधन की ओर अग्रसर होने का आह्वान किया। उपवास का वास्तविक अर्थ बताते हुए उन्होंने कहा — “उप” यानी निकट और “वास” यानी ठहरना, अर्थात् मन को परमात्मा के सन्निकट स्थिर करना ही सच्चा उपवास है।

धर्म महासम्मेलन में आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने साधकों के लिए शिव द्वारा बताए गए छह आवश्यक गुणों का भी विशेष उल्लेख किया:

  • लक्ष्य की सफलता में अटूट विश्वास
  • श्रद्धा से युक्त साधना
  • गुरु के प्रति आदर एवं सेवा भाव
  • आत्मबोध के बाद भी समभाव
  • इन्द्रियों का संयम
  • संतुलित और पोषक आहार का सेवन

उन्होंने कहा कि इन छह गुणों के विकसित हो जाने के बाद साधना के मार्ग में किसी और विशेष गुण की आवश्यकता नहीं रहती।

सम्मेलन के दौरान साधकों के बीच आध्यात्मिक ऊर्जा की गहन अनुभूति देखी गई। आयोजन को सफल बनाने में आनंद मार्ग प्रचारक संघ और स्थानीय स्वयंसेवकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। धर्म महासम्मेलन का यह संदेश साधकों को आत्मिक साधना की गहराइयों में उतरने हेतु प्रेरित कर रहा है।

 

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