96 वर्षीया भीमव्वा डोड्डाबलप्पा शिल्लेक्याथरा को पद्म श्री सम्मान, कर्नाटक की छाया कठपुतली कला को मिला राष्ट्रीय गौरव

नई दिल्ली। भारत सरकार द्वारा घोषित प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों में इस वर्ष कर्नाटक की प्रसिद्ध छाया कठपुतली कलाकार भीमव्वा डोड्डाबलप्पा शिल्लेक्याथरा को कला क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए पद्म श्री सम्मान प्रदान किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह में यह सम्मान भेंट किया।

96 वर्षीय भीमव्वा शिल्लेक्याथरा ‘तोगलू गोम्बेयाटा’ (चमड़े की छाया कठपुतली कला) की परंपरा की जीवित धरोहर मानी जाती हैं। दशकों से वह इस विलुप्त होती लोककला को संजोने और आगे बढ़ाने का कार्य कर रही हैं। उनकी साधना और समर्पण ने कर्नाटक की सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय मंच पर नई ऊंचाइयां दिलाई हैं।

पद्म पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में शामिल हैं, जो कला, समाज सेवा, सार्वजनिक कार्य, विज्ञान और अभियांत्रिकी, उद्योग, चिकित्सा, साहित्य एवं शिक्षा, खेल और प्रशासन सहित विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के लिए प्रदान किए जाते हैं। इनमें ‘पद्म विभूषण’, ‘पद्म भूषण’ और ‘पद्म श्री’ तीन श्रेणियां होती हैं।

इस वर्ष, प्रसिद्ध रागी और शब्द गायक भाई हरजिंदर सिंह जी को भी कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म श्री से नवाजा गया। वहीं, अमेरिकी लेखक और वैदिक संस्कृति के विद्वान स्टीफन नैप को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए पद्म श्री सम्मान प्राप्त हुआ है।

इसके अतिरिक्त, विख्यात वैदिक विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ को भी राष्ट्रपति द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या और काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के भूमि पूजन और प्राण प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

गौरतलब है कि वर्ष 2025 के लिए कुल 139 पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई है, जिनमें 7 पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं। पुरस्कार प्राप्त करने वालों में 23 महिलाएं हैं, जबकि 10 विदेशी, एनआरआई, पीआईओ और ओसीआई श्रेणी से हैं। 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया है।

 

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